मुंबई, 13 दिसंबर, 2022: टाटा ट्रस्ट्स की एक पहल इंडिया हेल्थ फंड (आईएचएफ) ने आज बच्चों में ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) की जाँच के लिये लॉलीपॉप और च्यूइंग गम से प्रेरित स्पटम (थूक) एकत्र करने वाले अपनी तरह के पहले उपकरण के लिये फंडिंग एवं सहयोग की घोषणा की है। 221B बायोमेडिकल प्रा. लि. द्वारा विकसित किया जा रहा ‘ब्लो-पॉप’ नामक यह उपकरण बच्चों में टीबी के लाखों मामलों को संबोधित करने में मदद करेगा जिनकी कम पहचान हुई है या फिर वे जांच से चूक गए हैं या उनमें विलंब हुआ है। सैंपल लेने के लिये बच्चों के अनुकूल यह अनोखा उपकरण अगले दो साल में आने की उम्मीद है।
भारत में हर साल 1 लाख से लेकर 1.15 लाख[1] बच्चों को टीबी होती है। इनमें, टीबी के नन्हे मरीजों में से 96%[2] की मौत बैक्टीरियोलॉजिक कंफर्मेशन और शीघ्र इलाज के कमी के कारण हो जाती है। यह चूक वाले मामले न केवल मौतें बढ़ाते हैं, बल्कि सामुदायिक संक्रमण में भी वृद्धि करते हैं। सैंपल लेने की मौजूदा विधियाँ इस स्थिति को और भी खराब कर देती हैं, जिनमें समय खर्च होता है, दर्द होता है और जो बच्चों के लिये सुविधाजनक नहीं होती हैं। और जिनके लिये अक्सर स्वास्थ्यरक्षा कर्मियों की विशेषज्ञता जरूरी होती है।
इस अपूर्ण आवश्यकता को सम्बोधित करते हुए और बच्चों को नवाचार के केन्द्र में रखते हुए इंडिया हेल्थ फंड का 221B बायोमेडिकल को दिया गया नया अनुदान 221B बायोमेडिकल की कृत्रिम विधि के विकास और चिकित्सकीय वैधता का रास्ता खोलेगा। यह नवाचार एक कम खर्चीला उपकरण है, जो कि बच्चों से टीबी की जाँच के लिये स्पटम (थूक) लेने की सुरक्षा, प्रभाव और आसानी बढ़ाएगा। लॉलीपॉप और च्यूइंग गम खाने वालों के अनुभव से प्रेरित, सीपी के आकार के इस उपकरण में बच्चों को ओरल फ्लूड्स (मुँह के तरल) का आसानी से सैंपल देने के लिये केवल चबाना और थूंकना या खांसना होता है। इसके अलावा, अपनी सरलता के कारण यह टूल कम संसाधनों वाली जगहों जैसे कि प्राथमिक स्वास्थ्यरक्षा परिवेश के लिये आदर्श होगा। शुरूआत में इस टूल का विकास बच्चों को ध्यान में रखकर किया जाएगा, लेकिन ऐडल्ट्स भी ऐसे उत्पाद का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसके विकास और उपयोग पर खोज होगी।
[1] ‘Invest to End TB. Save Lives!’ – Press release by MoH&FW, Govt of India
[2] The global burden of tuberculosis mortality in children: a mathematical modelling study – The Lancet Global Health.
इंडिया हेल्थ फंड के सीईओ माधव जोशी ने कहा, “आज की घोषणा ऐसे हजारों बच्चों के लिये नई उम्मीद लेकर आई है, जिनमें सैंपल लेने की विधि के बच्चों के लिये अनुकूल नहीं होने के कारण टीबी की जाँच नहीं हो पा रही है। जाँच की प्रक्रिया को ज्यादा आसान और दर्द-रहित बनाने से जाँच और निदान की दर बढ़ेगी, इलाज जल्दी शुरू होगा और बच्चों की अनावश्यक रूप से हो रही मौतें रुकेंगी। इसके अलावा, मरीजों और स्वास्थ्य प्रणालियों का खर्चा भी कम होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “सुलभता और उच्च प्रभाव की क्षमता एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो इंडिया हेल्थ फंड द्वारा वित्तपोषित और सहयोग-प्राप्त सभी नवाचारों में आम है, क्योंकि नवाचार जितना सुलभ होता है, उतना ही शक्तिशाली होता है।”
221B बायोमेडिकल प्रा. लि., इंडिया के संस्थापक एवं सीईओ डॉ. विवेक मनोहरन ने कहा, “हमारे द्वारा बच्चों को अपने काम के केन्द्र में रखते हुए नवाचार करने से लाखों बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के चेहरों पर मुस्कान ला सकती है। इस नवाचार की ताकत केवल बच्चों के लिये इसकी वहनीयता, सुरक्षा, गति और सुविधा में ही मौजूद नहीं है, बल्कि यह कम से कम खर्च में मौजूदा नैदानिक व्यवस्थाओं के लिए बेहद अनुकूल और पूरक भी होगी।”
221B बायोमेडिकल प्रा. लि. के विषय में
221B बायोमेडिकल प्राइवेट लिमिटेड (221B) का लक्ष्य है अपने मालिकाना हक वाली वैज्ञानिक एवं अभिनव प्रौद्योगिकियों के साथ घर पर जाँच के आसान और सुविधाजनक अनुभव के लिये चिकित्सकीय निदानों (डायग्नोस्टिक) को सरल बनाना। 221B निदान को प्राथमिकता देने का दृष्टिकोण लाने का इच्छुक है। इसके साथ ही यह स्वास्थ्य एवं सेहत के लिये संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में बढ़ने के अपने प्रयास में पूर्वसक्रिय रूप से रोगों का अनुमान और रोकथाम करना चाहती है। 221B सतत विकास लक्ष्यों के लिये नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और अनलीश ग्लोबल इनोवेशन लैब से सहयोग-प्राप्त एक एंटलर पोर्टफोलियो कंपनी टेस्ट ऐट होम प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर से संबद्ध है। 221B की संस्थापना एक बायोमेडिकल इंजीनियर वैज्ञानिक और एक मेडिकल डॉक्टर की जोड़ी: डॉ. विवेक मनोहरन (बीइंज, एमएस, पीएचडी) और डॉ. टेरेन्स टान (एमबीबीएस, जीडीएफएम, जीडीओएम) ने की है।
इंडिया हेल्थ फंड के विषय में:
इंडिया हेल्थ फंड एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसकी स्थापना एड्स, ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और मलेरिया से लड़ने के लिये टाटा ट्रस्ट्स और द ग्लोबल फंड की एक सह-कार्यात्मक पहल के रूप में हुई थी। आईएचएफ का मिशन है संचारी रोगों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के दूसरे जोखिमों से होने वालीं रोकथाम के योग्य मौतों को कम करना। इसके लिये आईएचएफ उस आशाजनक प्रौद्योगिकी और विज्ञान-आधारित समाधानों के विकास के जोखिम को दूर करता है, जिनमें इन रोगों के निदान, इलाज और रोकथाम के संदर्भ में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता है। इन समाधानों के विकास, अपनाये जाने और विस्तार को आसान बनाने के लिये आईएचएफ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के साथ मिलकर काम करता है। आईएचएफ का लक्ष्य है प्राथमिक देखभाल और कम संसाधनों वाले परिवेशों पर केन्द्रित होकर स्वास्थ्य के परिणामों को सुधारना। ज्यादा जानकारी के लिये, कृपया https://www.indiahealthfund.org देखें।
लिंक्डइन: India Health Fund | ट्विटर: @IndiaHealthFund.| फेसबुक: @IndiaHealthFund. | इंस्टाग्राम: @india_health_fund
टाटा ट्रस्ट्स के विषय में
1892 में अपनी शुरुआत के बाद से टाटा ट्रस्ट्स भारत का सबसे पुराना परोपकारी संगठन है। टाटा ट्रस्ट्स ने अपनी सेवाओं के माध्यम से कई समुदायों के जीवन में स्थायी अंतर लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। संस्थापक जमशेद जी टाटा के विजन और सक्रिय परोपकारी नजरिए से निर्देशित इस ट्रस्ट का उद्देश्य स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, जल, साफ-सफाई, जीविकोपार्जन, डिजिटल बदलाव, प्रवास और शहरी आवास, सामाजिक न्याय और समावेश, पर्यावरण और ऊर्जा, कौशल विकास, खेलकूद, कला और संस्कृति आदि के क्षेत्र में विकास को प्रेरित करना है। ट्रस्ट के कार्यक्रमों को सीधे क्रियान्वयन, भागीदारी और अनुदान देकर पूरा किया जाता है, जिनकी छाप देश के लिये प्रासंगिक नवाचारों पर देखी जा सकती है । अधिक जानकारी के लिए कृपया http://tatatrusts.org/ पर जाएं।
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